Friday, 27 May 2011
किसी दायरे में नहीं बंधना चाहता - बिपिन बहार
नब्बे के दशक में जा झार के, लादेन घुसल बा लहंगा में, हमके हाउ चाही , छिल्टुआ के दीदी जैसे एल्बमों के जरिये भोजपुरी में अश्व्लीलता की शुरुवात करने वाले मशहूर गीतकार बिपिन बहार ने हाल के कुछ वर्षो से अश्व्लीलता से तौबा कर ली है. आजकल वो ना सिर्फ सार्थक गीतों की रचना कर रहे हैं बल्कि भोजपुरी भाषा के प्रति भी काफी संवेदनशील हो गए हैं. भोजपुरी की पहली लायब्रेरी खोलने का श्रेय भी उन्हें ही जाता है. यही नहीं कभी किसी ख़ास अभिनेता के लिए गीत लिखने वाले बिपिन बहार आजकल दायरे से निकल कर हर अभिनेता की फिल्मो के गीत लिख रहे हैं. बिपिन बहार से विस्तृत बातचीत हुई ...प्रस्तुत हैं कुछ अंश :
आपने भोजपुरी में अश्व्लीलता की शुरुवात की , कैसा लगता है यह आरोप सुनकर ?
हाँ ये सच है की नब्बे के दशक में मेरे अश्लील गानों ने काफी चर्चा बटोरी लेकिन वो समय और श्रोताओ की मांग पर आधारित था. अभी भी भोजपुरी क्षेत्रो में शादी ब्याह पर द्विअर्थी गीत गाये जाते हैं. मुझे खुद लगता था की मुझे अच्छे गीत लिखने चाहिए यहाँ तक की मैंने लिखी भी लेकिन लोगो ने पसंद नहीं किया . मेरे दोस्त भी कहते थे तुम पढ़े लिखे हो सभ्य हो अच्छा लिखो . मैंने अपनी टीम से भी कहा भी तब मुझे कहा गया की साधू मत बनो लोग अगर आपकी आलोचना कर रहे हैं इसका मतलब आप हिट हो .. खैर मुझे ख़ुशी है की आज मैं काफी बदल गया हूँ .
आप पर किसी अभिनेता का ठप्पा लगा है ?
मैं अक्सर इस बात का जिक्र करता हूँ की मैं कभी भी किसी दायरे में नहीं बंधा हाँ किसी की नजदीकियों का लोगो ने गलत अर्थ निकाला . भोजपुरी में ऐसा सिर्फ मेरे साथ ही नहीं सबके साथ हुआ है ..लेकिन आज में सारे अभिनेताओ की फिल्मो के गीत लिख रहा हूँ अर्थात रवि किशन , निरहुआ , पवन सिंह सहित नए नवेले सितारों के लिए भी गाने लिख रहा हूँ. आज भोजपुरी के सभी बड़े संगीतकार के साथ काम कर रहा हूँ.
आपने भोजपुरी लाइब्रेरी बनाने की क्यों सोची ?
भोजपुरी साहित्य काफी समृद्ध है , ढेर सारी अच्छी पुस्तके लिखी गयी है लेकिन सब एक साथ एक जगह नहीं होने के कारण भोजपुरी साहित्य प्रेमी इसका लाभ नहीं उठा पा रहे थे. लाइब्रेरी बनने से अब लोग आसानी से इसका लाभ उठा सकते हैं.
आप उग्र प्रवृति के माने जाते हैं , क्या वजह है इसकी ?
भोजपुरी के साथ जब भी अत्याचार होता है तब मुझसे बर्दास्त नहीं होता और मेरी प्रतिक्रिया आती है , चाहे बिहार झारखण्ड में शूटिंग का मसला हो या अवार्ड का मैंने हमेशा सच लिखा है . मेरे ही अथक प्रयास से एक म्यूजिक कंपनी ने गीतकारो का पारिश्रमिक बढ़ाया . अवार्ड मतलब आलू ,प्याज वाला मेरा आलेख काफी चर्चित हुआ था.
आपने अभिनय की दिशा में भी कदम बढ़ा दिया है कोई ख़ास वजह ?
अभिनय मेरा शौक है पेशा नहीं अगर कोई निर्माता अभिनय के लिए मुझे पैसे देता है तो मैं उसके लिए भी तैयार हो जाता हूँ क्योंकि पैसा किसको बुरा लगता है. वैसे बियाह, भोजपुरिया डोन, मुन्ना पाण्डेय बेरोजगार में मेरे अभिनय को लोगो ने काफी सराहा है. अभी हाल ही में अजीत आनंद के साथ प्रेम लगन की शूटिंग कर लौटा हूँ. और भी कई फिल्मे कर रहा हूँ.
भोजपुरी फिल्मो की दशा को सुधारने के लिए क्या होना चाहिए ?
मेरा मानना है की गलत प्रचार प्रसार से भोजपुरी फिल्मो का काफी नुकसान हुआ है . हिंदी फिल्मो की गोसिप अखबारों में छपती है लेकिन भोजपुरी फिल्मो की गलत खबर . इससे दर्शक दिग्भर्मित हो जाते हैं. आप ही सोचिये किसी बकबास फिल्म को सुपर हिट लिखा जाता है और उसको पढ़कर लोग सिनेमा देखने जाते हैं तो इसका मतलब हम उस दर्शक को खो रहे हैं. इसके अलावा गुटवाजी भी दूर होनी चाहिए . गुटबाजी भोजपुरी फिल्म जगत की सबसे बड़ी दुश्मन है.
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